ओम का नियम(Ohm’s law) – यदि भौतिक अवस्थायें जैसे की ताप, लंबाई इत्यादि स्थिर हो, तब किसी विधुत परिपथ में प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर(वोल्टेज) उस प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली धारा(flow of current) के समानुपाती होता है। यानि की V ∝ I इसको V=IR भी लिख सकते है।
इस सूत्र(Formula) के द्वारा आप वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध का मान निकाल सकते हैं। Note : यहाँ – V = विभान्तर(Voltage), इकाई Volt(V) हैं I = धारा(Current), इकाई Ampere(A) हैं R = प्रतिरोध(Resistance), इकाई Ohm(Ω) हैं
यदि आपको विभान्तर यानि Voltage का मान पता करना है तो Formula:- V=I×R
यदि आपको धारा यानि Current का मान पता करना है तो Formula:- I=V/R
यदि आपको प्रतिरोध यानि Resistance का मान पता करना है तो Formula:- R=V/I
Note : “ओम का नियम तभी लागु होता है जब भौतिक अवस्थायें Constant(स्थिर) होती है।”
Example of Ohm’s law – ओम के नियम का उदहारण
Example 1: यदि I=5A और R=8Ω हो तो Voltage(V) क्या होगा?
कोणों के प्रकार ( Types Of Angles) 1. शून्य कोण ( Zero Angle) : - यदि कोण बनाने वाली दोनों किरणों के मध्य का झुकाव शून्य हो तो ऐसे कोण को शून्यकोण कहते हैं। 2. न्यून कोण ( Acute Angle) :- ऐसा कोण जो शून्य अंश से बड़ा परन्तु 90 अंश से छोटा हो न्यूनकोण कहलाता है। 3. समकोण ( Right Angle) :- 90 अंश का कोण समकोण कहलाता हैं। समकोण की परिभाषा- ऐसा कोण जिसे बनाने वाली दोनों किरणों के मध्य का झुकाव 90 अंश हो समकोण कहलाता है। 4. अधिक कोण ( Obtuse Angle) :- ऐसा कोण जो 90 अंश से बड़ा परन्तु 180 अंश से छोटा हो अधिककोण कहलाता है। 5. ऋजु कोण ( Straight Angle) :- 180 अंश का कोण ऋजुकोण कहलाता हैं। ऋजु कोण की परिभाषा- ऐसा कोण जिसे बनाने वाली दोनों किरणें एक दूसरे की विपरीत दिशा में हो , ऋजुकोण कहलाता है। 6. बृहत कोण ( Reflex Angle) :- ऐसा कोण जो 180 अंश से बड़ा परन्तु 360 अंश से छोट...
SI units in electrician trade ELECTRICAL UNITS S.NO PARAMETER UNIT SYMBOL 1 Current Ampere A 2 Voltage Volt V 3 Resistance Ohm Ω 4 Frequency Hertz Hz 5 power Watts W 6 Charge coulomb C 7 capacitance farad F 8 impidance Ohm Ω 9 work Joule J 10 conductance siemen s 11 Energy Joule J 12 conductivity Siemen /M M 13 Potential energy Joule J 14 Keinet...
Line/Phas च लाइन टेस्टर (phase tester) e Tester च लाइन टेस्टर दिखने में तो पेचकस की तरह ही होता है. और कई बार इसका इस्तेमाल पेचकस के रूप में भी किया जाता है लेकिन लाइन टेस्टर का असल कार्य किसी भी तार में Phase को जांचने के लिए किया जाता है. अगर आपको नहीं पता कि किसी तार में इलेक्ट्रिसिटी आ रही है या नहीं तो आप उस तार पर लाइन टेस्टर लगा कर उसे चेक कर सकते हैं. लेकिन लाइन टेस्टर का इस्तेमाल ज्यादा Tight पेच को खोलने के लिए नहीं किया जा सकता. और ना ही इस पर किसी प्रकार के हथौड़े से चोट मारी जा सकती अगर इस पर हथौड़े से चोट मारी जाए तो यह पूरी तरह से टूट जाएगा. लाइन टेस्टर में एक प्रतिरोधक होता है जोकि पेचकस के ब्लड के साथ में जुड़ा होता है. और प्रतिरोधक के दूसरी तरफ एक नियोन लैंप होता है. और यह नियोन लैंप एक Spring की मदद से अर्थिंग पॉइंट से जुड़ा होता है. जैसे ही लाइन टेस्टर को किसी और के साथ लगाया जाता है तो एक तरफ से बिजली प्रतिरोधक से होती हुई नियोन लैंप तक आती है और दूसरी तरफ से हम उसे छू कर अर्थिंग पॉइंट से सप्लाई देते हैं. जिससे कि अगर तार में बिजली होगी...
ओम के नियम के बारे में बहुत ही अच्छा समझाया आपने सर
ReplyDeleteThenks so much sar apne bahit accha padaya hai ap muje deli yaise hi padaya karo
ReplyDeleteVery nice sir
ReplyDeleteV....nc💕
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